रविवार, 10 अक्तूबर 2010

सखुआ और चीड़ की जुगलबंदी






वीना श्रीवास्तव
शनिवार की सुबह हम साढ़े पांच बजे जग गए। पूरब की दिशा में आकाश में बादल थे, लगा शायद सूर्योदय नहीं देख पाएंगे। फिर भी हम कैमरे के साथ वाच टावर पहुंच गए। वहां तीन लोग पहले से ही मौजूद थे।वातावरण में ठंडी हवा बह रही थी। पौने छह बजे मध्यम सा एक लाल गोला बादलों के बीच झलका लेकिन वह एक नजर में नहीं दिखाई दे रहा था। मैने  कहा वह देखो सूरज उग रहा है। सब लोगों की निगाह आकाश पर लग गई। तब तक हल्का सा लाल गोला थोड़ा और ऊपर उठ चुका था, सामने की पहाड़ियों और सखुआ के पेड़ों के ऊपर। वाकई दिल को मोह लेने वाला दृश्य। हम 15 मिनट तक बाल सूरज को देखते रहे।
जीतन किसान ने नीचे से आवाज लगाई, बाबू चाय तैयार है, ऊपर ही लाएं क्या। हमने कहा नहीं, हम ही नीचे आते हैं। नीचे उतर कर हमने गेस्ट हाउस के बरामदे में गुनगुनी धूप के साथ चाय पी। इस दौरान हम घूमने की योजना पर भी चर्चा कर रहे थे। तय हुआ कि नाश्ते के बाद हम सनसेट प्वाइंट तक जाएंगे। वहां से लौटकर नेतरहाट स्कूल देखा जाएगा और फिर गेस्टहाउस लौटकर लंच लेंगे।

निर्धारित समय यानी ठीक साढ़े आठ बजे नाश्ता लगा। पराठें और आलू की भुजिया। यहां दही और दूध का रिवाज नहीं है। जीतन ने बताया था कि इसके अलावा टोस्ट बटर व आमलेट मिल सकता है। नाश्ते के बाद, हम सनसेट प्वाइंट की ओर रवाना हुए। पलामू बंगले से यह स्थान करीब 6 किमी है। रास्ता बेहद खूबसूरत। पतली सी सड़क सीधी सखुआ और चीड़ के बीच से। नेतरहाट स्कूल के बाद एक छोटी सी आदिवासी बस्ती पड़ी। सुंदर और शालीन घर। दूर से बटुली में पानी लाते बच्चे व महिलाएं। गाय व बकरियों के लिए चारे का इंतजाम करते लोग। जगह-जगह महिलाएं सड़क पर मक्का सुखा रहीं थीं। यहां कभी-कभार ही बाहरी लोग दिखाई देते हैं, सो लोग हमें कौतूहल से देख रहे थे।

रास्ते में चीड़ों के झुंड इतने शेप में दिख रहे थे जैसे किसी ने इनकी कटिंग कर ऐसा बनाया हो लेकिन यहां ऐसा कुछ नहीं होता है। हवा ही इन पेड़ों को संवारती है और शेप देती है। हमारी कार धीमे-धीमे चल रही थी और हम जंगल, हवा और मनोरम वातावरण का आनंद लेते हुए आगे बढ़ रहे थे। थोड़ी देर में हम सनसेट प्वाइंट पहुंच गए। वहां सनसेट देखने के लिए एक सीढ़ीदार प्लेटफार्म बना है। तीन साल पहले बने इस प्लेटफार्म की फर्श उखड़ चुकी है। उस पर लगे पत्थर गायब हैं, यहां तक कि उद्घाटन का पत्थर भी लोग उखाड़ ले गए।

सरकारी उपेक्षा से प्राकृतिक खूबसूरती तो उखड़ती नहीं है लिहाजा इस प्वाइंट से खूबसूरत नजारा देखने को मिलता है। इस प्वाइंट का नाम है मैग्नोलिया सनसेट प्वाइंट। इस प्वाइंट से नीचे एक गहरी खांईं है। बीच में घाटी है और फिर पहाड़ियों। सूरज इन्हीं पहाड़ियों के बीच डूबता है।

इस नाम के पीछे एक कहानी है- लोग बताते हैं यहां पहले एक अंग्रेज साहब रहता था जिसकी बेटी थी मैग्नोलिया। मैग्नोलिया बहुत खूबसूरत थी। हिंदुस्तान में ही पैदा हुई मैग्नोलिया यहां की भाषा भी अच्छे से आती थी। घुड़सवारी के दौरान उसकी मुलाकात एक आदिवासी नौजवान से हुई। यह नौजवान बहुत अच्छा गायक था। उसकी आवाज जंगलों में और भी मारक हो जाती थी। उसकी आवाज सुनकर मैग्नोलिया बेचैन हो उठती थी। मुलाकात का दौर शुरू हुआ और धीरे-धीरे मैग्नोलिया के मन के कोमल से भाव ने मोहब्बत का रूप ले लिया। मैग्नोलिया उस आदिवासी के साथ रहना चाहती थी लेकिन उसके मां-बाप को यह मंज़ूर नहीं था। अंग्रेज साहब को जब कोई रास्ता न सूझा तो उसने आदिवासी युवक की हत्या करा दी। जब मैग्नोलिया को पता चलता है तो वह पागल हो उठती है। कहती है मुझे उस लड़के से मिलना है। अपने घोड़े पर सवार होती है और घोड़ा दौड़ाते हुए उस खांईं में छलांग लगा देती है। लोगों का कहना है कि कभी-कभी मधुर आवाज इस खांईं से आज भी सुनाई देती है और घोड़े पर सवार मैग्नोलिया भी दिखाई दे जाती है। इस तरह इस प्वाइंट का नाम मैग्नोलिया प्वाइंट पड़ गया।


शाम को लोहरदगा से आग्रह हुआ कि शनिवार की रात हम फारेस्ट रेस्टहाउस में स्थित लागहाउस में ठहरें। ठहरना तो नहीं हुआ लेकिन हम शाम को वहां चाय पीने जरूर गए। दरअसल हमने सोचा कि जब हम सनसेट देखने जाएंगे तो उधर से होते हुए जाएंगे। शाम को बादल छा गए लिहाजा सनसेट देखने का कार्यक्रम रद करना पड़ा और हम पहुंच गए फारेस्ट रेस्टहाउस। 

साढ़े पांच बजे से बारिश शुरू हो गई। करीब आठ बजे तक जबरदस्त बारिश होती रही। घुप अंधेरा, तेज बारिश और केरोसिन लैंप के साथ हम बैठे पलामू बंगले के बरामदे में। प्रकृति ने जो माहौल बना रखा था कि उसका मजा ही अलग। बारिश की बूंदों के साथ सखुआ और चीड़ की जो जुगलबंदी शुरू हुई थी, वह तेज होती बारिश में डूब गई और फिर शुरू हुआ बादलों का मांदर। घड़ी की सुइंयां इतने धीमे चलती नजर आ रही थीं कि समय जैसे ठहर गया हो।

रविवार यानी 3 अक्टूबर को सुबह काफी चहलपहल थी। जब हम नाश्ता कर रहे थे तभी वहां विकास भारती संस्था के मुखिया अशोक भगत वहां आ गए। राजेंद्र को देखकर  वह चौंक गए। नमस्कार हुआ। उन्होंने कहा कि गांधी जयंती पर विकास भारती आदिवासी युवक-युवतियों व बच्चों की एक दौड़ का आयोजन कर रहा है। यह दौड़ नेतरहाट स्कूल से शुरू होकर बनारी पर खत्म होगी। यानी करीब 25 किमी। अशोक भगत ने राजेंद्र से दौड़ को हरी झंडी दिखाने का आग्रह किया जिसे राजेंद्र ने सविनय मना कर दिया। 

वापस होते हुए रास्ते में हमने देखा कि बड़ी संख्या में लड़के-लड़कियां (अधिकतर नंगे पांव) दौड़ते हुए नीचे जा रहे थे। विकास भारती ने जगह-जगह पानी का इंतजाम कर रखा था। कहीं से नहीं लग रहा था कि ये बच्चे नक्सली बनकर बंदूक उठाने का विकल्प अपनाएंगे यदि इन इलाकों को विकास मुख्यधारा में शामिल कर लिया जाए।

अशोक भगत के आग्रह पर हम बिशुनपुर में विकास भारती के परिसर स्थित गेस्टहाउस में चाय पीने के लिए रुके। विकास भारती के कामों की जानकारी हमें दी गई। हमने उनका स्वावलंबन केंद्र देखा कि कैसे स्थानीय लोगों को स्वरोजगार के लिए न सिर्फ ट्रेन किया जा रहा है बल्कि उनके लिए प्लेटफार्म का काम भी विकासभारती कर रही है। यही नहीं, दुनिया की सबसे पुरानी अयस्क से लोहा व एलुमुनियम बनाने की तकनीक को भी बचाए रखने का काम भी यहां चल रहा है।

लौटते में हम कुड़ू होकर नहीं बल्कि लोहरदगा से बेड़ो वाली सड़क से रांची आए। अच्छी सड़क, मनोहारी दृश्यों के बीच पता नहीं चला कि कब हम रांची पहुंच गए। कुल मिलाकर मुझे लगता है कि यदि आप दो-तीन दिन दुनिया-जहां से कटकर कुछ पल सुकून से बिताना चाहते हैं तो नेतरहाट सबसे मुफीद जगह है।

कैसे पहुंचे नेतरहाट
दिल्ली, कोलकाता, पटना व मुंबई से रांची वायुमार्ग से जुड़ा है। रेलमार्ग से रांची मुख्यरूप से दिल्ली व कोलकाता से जुड़ा है। रेल से धनबाद होकर भी रांची पहुंचा जा सकता है। धनबाद से रांची 160 किमी है। लखनऊ से आने के लिए कानपुर से ट्रेन पकड़े। रांची से टैक्सी लेकर नेतरहाट पहुंचा जा सकता है। सात में हल्के गर्म कपड़े ले जाना न भूलें।


40 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत ही सजीव वर्णन.
    बहुत बहुत धन्यवाद इतनी सुन्दर जगह की मानसिक सैर कराने के लिए.

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  2. वीणा जी, चित्र काफी खूबसूरत हैं ।

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  3. माफ़ कीजियेगा दुबारा लिख रहा हूँ,वर्णन के साथ ही जो फोटोग्राफ्स आपने लगाये हैं बहुत ही सजीव मालूम पड़ रहे हैं.नेतरहाट की खूबसूरती को अच्छे ऐन्गिल्स से कैद किया है.

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  4. veenaji,
    Yatra -vritant ka yah bhag na kewal netarhat ki muft sair kara gaya balki isme wahan ki samajik,rajneetik,aur aarthik paristhitiyon ka ullekh dekh kar kafi gyanarjan hua .
    meri shreematiji zikr to karti rahti hain per gai nahin hain.Unhone DASHAM FALL,DAM wagaira zaroor dekha hai.Unhe Ranchi ki purani yaden taza ho gai.

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  5. ye padhkar, mera bhi waha jane ka man karne laga. prakriti ki chhoti-chhoti khubiyo me, apke dekhne ke nazariye ne 4 chand laga diye.lekhani ki to main pahle se kayal hu.

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  6. ...वापस होते हुए रास्ते में हमने देखा कि बड़ी संख्या में लड़के-लड़कियां (अधिकतर नंगे पांव) दौड़ते हुए नीचे जा रहे थे। विकास भारती ने जगह-जगह पानी का इंतजाम कर रखा था। कहीं से नहीं लग रहा था कि ये बच्चे नक्सली बनकर बंदूक उठाने का विकल्प अपनाएंगे यदि इन इलाकों को विकास मुख्यधारा में शामिल कर लिया जाए।.......
    वाकई भाभीजी, कमाल की वृत्तांत लिखा है आपने। एकबार फिर आपके साथ मैं यहां बठिंडा में बैठे-बैठे नेतरहाट घूम आया।
    और हां...आपकी हथेली पर नाचता सूरज बहुत सुंदर लग रहा है। राजेंद्र सर ने शानदार फोटोग्राफी की है, बधाई....
    महेंद्रकुमार कुशवाह

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  7. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  8. veenaji, bahut dinon ke baad maine net khola hai. aapka yatra sansmaran vastav mein kafee rochak aur gyanvardhak laga. padhkar man prasanna ho gaya. netarhaat kee sair bhee ho gai.bahut-bahu dhanyavaad aur badhai.

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  9. यह शिकंजी क्या चीज है वीना जी ??
    बिना पढ़े यह पहला कमेन्ट स्वीकार करिए ...फुर्सत में पढूंगा !
    सादर

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  10. बहुत सुंन्दर जगह लगती है। जा कर देखना पड़ेगा।

    कृपया वर्ड वेरीफिकेशन हटा लें। यह न केवल मेरी उम्र के लोगों को तंग करता है पर लोगों को टिप्पणी करने से भी हतोत्साहित करता है। आप चाहें तो इसकी जगह कमेंट मॉडरेशन का विकल्प ले लें।

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  11. चित्र काफी खूबसूरत हैं । शुक्रिया।

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  12. बहुत ही सजीव वर्णन.
    चित्र बहुत खूबसूरत हैं
    इतनी सुन्दर जगह की मानसिक सैर कराने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद .

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  13. bachpan me netarhaat school me admission ke liye try kiya tha..........itne intelligent the nahi ki padh saken....ab dekh rahe hain...wahan ka sajeev chitran...:)

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  14. दूसरी तस्वीर को यदि ठीक से प्रोजेक्ट किया गया होता,तो आज यह अंतर्राष्ट्रीय स्तर की तस्वीर मानी गई होती। इस तस्वीर की आध्यात्मिक व्याख्या भी संभव है।

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  15. शकुन्तला प्रेस कार्यालय के बाहर लगा एक फ्लेक्स बोर्ड देखे.......http://shakuntalapress.blogspot.com/2011/03/blog-post_14.html क्यों मैं "सिरफिरा" था, "सिरफिरा" हूँ और "सिरफिरा" रहूँगा! देखे.......... http://sach-ka-saamana.blogspot.com/2011/03/blog-post_14.html

    आप सभी पाठकों और दोस्तों से हमारी विनम्र अनुरोध के साथ ही इच्छा हैं कि-अगर आपको समय मिले तो कृपया करके मेरे (http://sirfiraa.blogspot.com , http://rksirfiraa.blogspot.com , http://shakuntalapress.blogspot.com , http://mubarakbad.blogspot.com , http://aapkomubarakho.blogspot.com , http://aap-ki-shayari.blogspot.com , http://sachchadost.blogspot.com, http://sach-ka-saamana.blogspot.com , http://corruption-fighters.blogspot.com ) ब्लोगों का भी अवलोकन करें और अपने बहूमूल्य सुझाव व शिकायतें अवश्य भेजकर मेरा मार्गदर्शन करें. आप हमारी या हमारे ब्लोगों की आलोचनात्मक टिप्पणी करके हमारा मार्गदर्शन करें और अपने दोस्तों को भी करने के लिए कहे.हम आपकी आलोचनात्मक टिप्पणी का दिल की गहराईयों से स्वागत करने के साथ ही प्रकाशित करने का आपसे वादा करते हैं # निष्पक्ष, निडर, अपराध विरोधी व आजाद विचारधारा वाला प्रकाशक, मुद्रक, संपादक, स्वतंत्र पत्रकार, कवि व लेखक रमेश कुमार जैन उर्फ़ "सिरफिरा" फ़ोन:9868262751, 9910350461

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  16. दोस्तों! अच्छा मत मानो कल होली है.आप सभी पाठकों/ब्लागरों को रंगों की फुहार, रंगों का त्यौहार ! भाईचारे का प्रतीक होली की शकुन्तला प्रेस ऑफ़ इंडिया प्रकाशन परिवार की ओर से हार्दिक शुभमानाओं के साथ ही बहुत-बहुत बधाई!

    आप सभी पाठकों और दोस्तों से हमारी विनम्र अनुरोध के साथ ही इच्छा हैं कि-अगर आपको समय मिले तो कृपया करके मेरे (http://sirfiraa.blogspot.com , http://rksirfiraa.blogspot.com , http://shakuntalapress.blogspot.com , http://mubarakbad.blogspot.com , http://aapkomubarakho.blogspot.com , http://aap-ki-shayari.blogspot.com , http://sachchadost.blogspot.com, http://sach-ka-saamana.blogspot.com , http://corruption-fighters.blogspot.com ) ब्लोगों का भी अवलोकन करें और अपने बहूमूल्य सुझाव व शिकायतें अवश्य भेजकर मेरा मार्गदर्शन करें. आप हमारी या हमारे ब्लोगों की आलोचनात्मक टिप्पणी करके हमारा मार्गदर्शन करें और अपने दोस्तों को भी करने के लिए कहे.हम आपकी आलोचनात्मक टिप्पणी का दिल की गहराईयों से स्वागत करने के साथ ही प्रकाशित करने का आपसे वादा करते हैं

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  17. आप को सपरिवार होली की हार्दिक शुभ कामनाएं.

    सादर

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  18. भ्रष्टाचारियों के मुंह पर तमाचा, जन लोकपाल बिल पास हुआ हमारा.

    बजा दिया क्रांति बिगुल, दे दी अपनी आहुति अब देश और श्री अन्ना हजारे की जीत पर योगदान करें

    आज बगैर ध्रूमपान और शराब का सेवन करें ही हर घर में खुशियाँ मनाये, अपने-अपने घर में तेल,घी का दीपक जलाकर या एक मोमबती जलाकर जीत का जश्न मनाये. जो भी व्यक्ति समर्थ हो वो कम से कम 11 व्यक्तिओं को भोजन करवाएं या कुछ व्यक्ति एकत्रित होकर देश की जीत में योगदान करने के उद्देश्य से प्रसाद रूपी अन्न का वितरण करें.

    महत्वपूर्ण सूचना:-अब भी समाजसेवी श्री अन्ना हजारे का समर्थन करने हेतु 022-61550789 पर स्वंय भी मिस्ड कॉल करें और अपने दोस्तों को भी करने के लिए कहे. पत्रकार-रमेश कुमार जैन उर्फ़ "सिरफिरा" सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है, देखना हैं ज़ोर कितना बाजू-ऐ-कातिल में है.

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  19. वीणा जी, नेतरहाट का आपका यात्रा-वृतांत काफी आनंददायक लगा. कुछ ओर सामाजिक मुद्दों पर भी आपकी राय जानने को मिली, खासकर सच का सामना मे आपने जो सच्चाई सामने रखी है, वो काबिले तारीफ लगी. आप ऐसे ही समाज की मानसिकता को अपने लेखन से परिपक्व करने के अभियान मे लगे रहे. ढेर सारी शुभकामनाएँ.

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  20. आज दोबारा पढी आपकी पोस्‍ट और फिर टिप्‍पणी किए बिना नहीं रहा गया। इसजीवंत चित्रण के लिए बधाई।

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    भगवान के अवतारों से बचिए!
    क्‍या सचिन को भारत रत्‍न मिलना चाहिए?

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  21. यह जगह पसंद आई ...आपकी कलम में ताकत है ! !!
    आभार आपका !

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  22. बहुत ही सुंदर चित्रण किया है आपने! कुछ बात है आपके लिखने में.
    विवेक जैन vivj2000.blogspot.com

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  23. श्रीमान जी, मैंने अपने अनुभवों के आधार ""आज सभी हिंदी ब्लॉगर भाई यह शपथ लें"" हिंदी लिपि पर एक पोस्ट लिखी है. मुझे उम्मीद आप अपने सभी दोस्तों के साथ मेरे ब्लॉग www.rksirfiraa.blogspot.com पर टिप्पणी करने एक बार जरुर आयेंगे. ऐसा मेरा विश्वास है.

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  24. आप की यात्रा मुझे बेहद पसंद आयी है

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  25. प्रिय दोस्तों! क्षमा करें.कुछ निजी कारणों से आपकी पोस्ट/सारी पोस्टों का पढने का फ़िलहाल समय नहीं हैं,क्योंकि 20 मई से मेरी तपस्या शुरू हो रही है.तब कुछ समय मिला तो आपकी पोस्ट जरुर पढूंगा.फ़िलहाल आपके पास समय हो तो नीचे भेजे लिंकों को पढ़कर मेरी विचारधारा समझने की कोशिश करें.
    दोस्तों,क्या सबसे बकवास पोस्ट पर टिप्पणी करोंगे. मत करना,वरना......... भारत देश के किसी थाने में आपके खिलाफ फर्जी देशद्रोह या किसी अन्य धारा के तहत केस दर्ज हो जायेगा. क्या कहा आपको डर नहीं लगता? फिर दिखाओ सब अपनी-अपनी हिम्मत का नमूना और यह रहा उसका लिंक प्यार करने वाले जीते हैं शान से, मरते हैं शान से
    श्रीमान जी, हिंदी के प्रचार-प्रसार हेतु सुझाव :-आप भी अपने ब्लोगों पर "अपने ब्लॉग में हिंदी में लिखने वाला विजेट" लगाए. मैंने भी लगाये है.इससे हिंदी प्रेमियों को सुविधा और लाभ होगा.क्या आप हिंदी से प्रेम करते हैं? तब एक बार जरुर आये. मैंने अपने अनुभवों के आधार आज सभी हिंदी ब्लॉगर भाई यह शपथ लें हिंदी लिपि पर एक पोस्ट लिखी है.मुझे उम्मीद आप अपने सभी दोस्तों के साथ मेरे ब्लॉग एक बार जरुर आयेंगे. ऐसा मेरा विश्वास है.
    क्या ब्लॉगर मेरी थोड़ी मदद कर सकते हैं अगर मुझे थोडा-सा साथ(धर्म और जाति से ऊपर उठकर"इंसानियत" के फर्ज के चलते ब्लॉगर भाइयों का ही)और तकनीकी जानकारी मिल जाए तो मैं इन भ्रष्टाचारियों को बेनकाब करने के साथ ही अपने प्राणों की आहुति देने को भी तैयार हूँ.
    अगर आप चाहे तो मेरे इस संकल्प को पूरा करने में अपना सहयोग कर सकते हैं. आप द्वारा दी दो आँखों से दो व्यक्तियों को रोशनी मिलती हैं. क्या आप किन्ही दो व्यक्तियों को रोशनी देना चाहेंगे? नेत्रदान आप करें और दूसरों को भी प्रेरित करें क्या है आपकी नेत्रदान पर विचारधारा?
    यह टी.आर.पी जो संस्थाएं तय करती हैं, वे उन्हीं व्यावसायिक घरानों के दिमाग की उपज हैं. जो प्रत्यक्ष तौर पर मनुष्य का शोषण करती हैं. इस लिहाज से टी.वी. चैनल भी परोक्ष रूप से जनता के शोषण के हथियार हैं, वैसे ही जैसे ज्यादातर बड़े अखबार. ये प्रसार माध्यम हैं जो विकृत होकर कंपनियों और रसूखवाले लोगों की गतिविधियों को समाचार बनाकर परोस रहे हैं.? कोशिश करें-तब ब्लाग भी "मीडिया" बन सकता है क्या है आपकी विचारधारा?

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  26. बढ़िया जानकारी दी आपने..धन्यवाद!!

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  27. पहली बार आपके ब्लॉग पर आना हुआ |
    बहुत ही सार्थक लेखन है आपका ! आपको मेरी हार्दिक शुभ कामनाएं !
    मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है http://madanaryancom.blogspot.com/

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  28. blog ka naam acha laga
    sabhi ne apke blog par achhe comment kiye hain
    http://shayaridays.blogspot.com

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  29. बेहतरीन प्रस्‍तुति ।

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  30. मेरा बिना पानी पिए आज का उपवास है आप भी जाने क्यों मैंने यह व्रत किया है.

    दिल्ली पुलिस का कोई खाकी वर्दी वाला मेरे मृतक शरीर को न छूने की कोशिश भी न करें. मैं नहीं मानता कि-तुम मेरे मृतक शरीर को छूने के भी लायक हो.आप भी उपरोक्त पत्र पढ़कर जाने की क्यों नहीं हैं पुलिस के अधिकारी मेरे मृतक शरीर को छूने के लायक?

    मैं आपसे पत्र के माध्यम से वादा करता हूँ की अगर न्याय प्रक्रिया मेरा साथ देती है तब कम से कम 551लाख रूपये का राजस्व का सरकार को फायदा करवा सकता हूँ. मुझे किसी प्रकार का कोई ईनाम भी नहीं चाहिए.ऐसा ही एक पत्र दिल्ली के उच्च न्यायालय में लिखकर भेजा है. ज्यादा पढ़ने के लिए किल्क करके पढ़ें. मैं खाली हाथ आया और खाली हाथ लौट जाऊँगा.

    मैंने अपनी पत्नी व उसके परिजनों के साथ ही दिल्ली पुलिस और न्याय व्यवस्था के अत्याचारों के विरोध में 20 मई 2011 से अन्न का त्याग किया हुआ है और 20 जून 2011 से केवल जल पीकर 28 जुलाई तक जैन धर्म की तपस्या करूँगा.जिसके कारण मोबाईल और लैंडलाइन फोन भी बंद रहेंगे. 23 जून से मौन व्रत भी शुरू होगा. आप दुआ करें कि-मेरी तपस्या पूरी हो

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  31. सजीव वर्णन और खूबसूरत चित्र । बहुत ही आनंद आया ।

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  32. ' shikanji ' , bahut khoobsoorat naam aur sunder chitr kheencha hai veena ji , '' hawa hi in pedon ko sanwarti hai '' , waah kya baat hai

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  33. सुंदर चित्र और सुंदर यात्रा वर्णन । बिहार में रांची जमशेदपूर तो कई बार गई हूँ पर नेतरहाट नही देखा ।

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  34. वाह ...
    शानदार फोटू..
    पर पढ़ने का समय नहीं...
    कल देखेंगे..

    बढिया बेहतरीन..

    एक नज़र में ब्लॉग अच्छा लगा .. फोलो कर रहे हैं...

    मेरी नज़र से........

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  35. कृपया ये वर्ड वेरिफिकाशन हटा दीजिए ... सेट्टिंग में जा कर..

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